अखिल भारतीय पत्रवाचन - आचार्यों के लिए
भाषा शब्द से ही ज्ञात होता है कि भाषा का मूल स्वरूप उच्चारित रूप है। इसका दृष्टिकोण प्रतीक लिपिबद्ध होता है। मुद्रित रूप लिपिबद्ध रूप का प्रतिनिधि है। जब हम बच्चे को पढ़ाना आरम्भ करते हैं तो अक्षरों के प्रत्यय हमारे मस्तिष्क के कक्ष भाग में क्रमबद्ध होकर एक तस्वीर बनाते हैं और हम उसे उच्चारित करते हैं। यह क्रिया जिसमें अक्षरों के साथ अर्थ ध्वनि भी निहित है, वाचन कहलाती है।
पत्र-वाचन का अर्थ
लिखित भाषा के ध्वन्यात्मक पाठ को वाचन कहते हैं। परन्तु बिना अर्थ ग्रहण किए गए पढ़ने को पठन नहीं कहा जा सकता। पठन की क्रिया में अर्थ ग्रहण करना आवश्यक होता है। अर्थ ग्रहण किस सीमा तक होता है, वह तो पत्र-वाचन करने वाले के ज्ञान और कौशल पर निर्भर है। जब किसी निर्धारित विषय पर आलेख लिख कर उसका वाचन किया जाता है तो उसे पत्र-वाचन कहते हैं।
विषय: राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान परम्परा का समावेश
नियम -
1. इस कार्यक्रम में प्रत्येक क्षेत्र से चयनित एक आचार्य उपरोक्त विषय पर दृश्य एवं श्रव्य माध्यमों का प्रयोग करते हुए अपना पत्र वाचन करेंगे। यह भाषण प्रतियोगिता नहीं है अतः लिखकर लाये आलेख को ही पढ़ना होगा।
2. समय सीमा 7 से 10 मिनट
3. माध्यम -हिन्दी अथवा अंग्रेज़ी
4. मूल्यांकन -
(क) तथ्य संग्रह एवं विषय सामग्री - 10 अंक
(ख) PPT का प्रयोग एवं पत्र से समन्वय - 10 अंक
(ग) अभिव्यक्ति एवं उच्चारण शुद्धि - 10 अंक
(घ) प्रस्तुति एवं संदर्भ - 10 अंक
(घ) प्रश्नोत्तर एवं समय सीमा - 10 अंक
कुल - 50 अंक
5. अपने पत्र वाचन की लिखित एवं चित्रमय सामग्री देना आवश्यक है।
6. सभी प्रतिभागी पुरस्कृत होंगे।
7. PPT में प्रयोग किए जाने वाले Text का Font - Unicode ही रहेगा।
8. वीडियो क्लिप, मॉडल, चार्ट सहित सभी दृश्य एवं श्रव्य सामग्री का प्रस्तुतीकरण PPT द्वारा ही करना अनिवार्य है। इसके अभाव में पत्र अमान्य हो जाएगा।
9. PPT के अतिरिक्त किसी चार्ट, फ्रलैश कार्ड, मॉडल इत्यादि के प्रदर्शन की अनुमति नहीं है।
10. निर्णायकों को अपने पत्र की 3 प्रति देना अनिवार्य होगा।
11. यह पत्रवाचन है। अभिनय या भाषण प्रतियोगिता नहीं। पत्र पढ़ें और उसके साथ जुड़ी दृश्य सामग्री (PPT) को इंगित करें।