विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान,कुरुक्षेत्र

विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान

संस्कृति भवन, कुरुक्षेत्र, हरियाणा (भारत)

संगीत विभाग
अनादि काल से संगीत मानव को अनंत शांति व आनंद प्रदान करता आ रहा है। देवी, देवताओं, महान् सन्तों व महात्माओं ने भी परम ब्रह्म से अपना संबंध् संगीत द्वारा ही जोड़ा उनकी दिव्य वाणी से अलौकिक संगीत की जो धरा प्रस्फुटित हुई उसने असंख्य मानवों को चिरशांति प्रदान की है। दुःखी हृदय को सांत्वना देने तथा व्यथित हृदय की पीड़ा हरने में संगीत ने अपना अद्भुत प्रभाव दिखाया है। इसकी अपार शक्ति का परिचय हमें पग-पग पर मिलता है। एक ओर माँ की ममता भरी लोरियाँ शिशु को वात्सल्य रस का आनंद देती हैं तो दूसरी ओर संगीत की प्रेरणा भरी धुनों से सैनिकों में वीरता व उत्साह का संचार होता है।
भारतीय संगीत मानव की पाश्विक व हिंसक वृत्तियों को दूर करके उसमें दैवी गुणों का संचार करने की क्षमता भी रखता है। मानव ही नहीं, पशु-पक्षी और हिंसक जीव तक सभी को संगीत अपनी ओर आकर्षित करने की क्षमता भी रखता है। सिंह और सर्प जैसे क्रूर जीव भी संगीत की धुन पर अपनी सारी क्रूरता व हिंसकता का त्याग कर देते हैं। आधुनिक युग में वैज्ञानिकों ने पेड़-पौधों के विकास में भी संगीत ध्वनियों का आश्चर्यजनक प्रभाव देखा है। अनेक रोगों के उपचार के लिए भी संगीत का प्रयोग किया गया है। यह सिद्ध हो चुका है कि संगीत में बीमारियों के उपचार की भी अद्भुत क्षमता विद्यमान है।
संगीत एक ऐसी कला है जो किसी राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोने का सबसे शक्तिशाली माध्यम है। सारे विश्व में बंधुत्व की भावना को जगाने तथा सच्ची मानवता का सन्देश पहुँचाने में भी संगीत का स्थान सर्वोपरि है। संगीत की इस रसमयी सरिता में अवगाहन करके मानव सच्ची सहृदयता और विश्व बंधुत्व को सहज ही प्राप्त कर सकता है। विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान द्वारा निम्नलिखित गतिविधियाँ इस क्षेत्र में संचालित होती हैं -
प्रत्येक कक्षा की पुस्तिका में भारतीय संस्कृति की प्राचीन धरोहर के साथ-साथ राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय उपलब्धियों की जानकारी भी दी गई है। प्रत्येक पुस्तक में नौ पाठ हैं -
1. मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रमानुसार संगीत परीक्षाओं का आयोजन प्रयाग संगीत समिति, इलाहाबाद ने संस्थान द्वारा संचालित संगीत केन्द्र को मान्यता प्रदान की है। भविष्य में योजना है कि इस केन्द्र को खैरागढ़, मध्यप्रदेश, संगीत विश्वविद्यालय द्वारा मान्यता दिलाई जाए और यह केन्द्र एक संगीत महाविद्यालय के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त करे।
2. प्रतिभा विकास हेतु नियमित कक्षाएंछात्रों को बहुमुखी प्रतिभा से धनी बनाने की श्रृंखला में संगीत क्षेत्र में प्रतिभाओं के विकास हेतु नियमित कक्षाएं दो घण्टे के लिए चलती हैं। जिनमें योग्य, कुशल शिक्षकों के मार्गदर्शन में छात्रा/छात्राएँ प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। प्रशिक्षण निम्नलिखित श्रेणियों में प्रदान किया जाता है।
2.1 गायन: गायन में शास्त्रीय संगीत एवं सुगम संगीत दोनों प्रकार के प्रशिक्षण की व्यवस्था है।
2.2 वादन: वादन में हारमोनियम, केसियो, तबला, सितार, गिटार, ढोलक इत्यादि वाद्यों के प्रशिक्षण की समुचित व्यवस्था है।
संस्कृति ज्ञान परीक्षा
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