सरस्वती संग्रहालय

विलुप्त हुई सरस्वती नदी जिसकी खोज में देशभर में प्रयास हो रहे हैं। इससे सम्बन्धित अमूल्य निधि को विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान ने सरस्वती संग्रहालय में संजोकर व्यवस्थित किया हुआ है। सरस्वती नदी का व्याख्यान वेदों से निरन्तर चला आ रहा है। सरस्वती नदी उत्खन्न से जो मूर्तियां व मिट्टी मिली हैं उन्हें सुरक्षित ढंग से सम्भाला गया है। सरस्वती संग्रहालय को देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक आते रहते हैं। इसका अवलोकन करने वालों में भारत के संस्कृति मंत्री डॉ. महेश शर्मा, प्रसिद्ध कत्थक नृत्यांगना नलिनी-कमलिनी, श्रीकांत वालगद-आई.ए.एस., श्री आर.बी.सोलंकी कुलपति - सी.एस.आर.विश्वविद्यालय, श्री प्रशांत भारद्वाज एवं नगर के अनेक गणमान्य लोग प्रमुख हैं।

हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड व हरियाणा सरकार ने इस प्रयास को देखकर 18 से 22 जनवरी 2018 को आयोजित किए जाने वाले अन्तर्राष्ट्रीय सरस्वती महोत्सव 2018 में विद्या भारती को महाजलाभिषेक हेतु चयनित किया। इस पुनीत कार्य को स्वीकार करते हुए विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान द्वारा अल्प समय में देशभर की प्रमुख 423 नदियों का जल महाजलाभिषेक कार्यक्रम हेतु जुटा लिया गया जिसने सभी को अचम्भित कर दिया। जिसके लिए विद्या भारती का आभार व्यक्त करते हुए हरियाणा सरकार व हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड ने विद्या भारती को सम्मानित किया। यहां तक कि सरकार द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी जिसमें लाखों रुपये की लागत से बने डीजिटल पैनल थे उसे भी सरस्वती संग्रहालय हेतु उपलब्ध करवा दिया गया, जोकि एक बहुत बड़ी उपलब्धि रही।

अन्तर्राष्ट्रीय सरस्वती महोत्सव के अवसर पर पहले आदिबद्री में हिमालय से निकलने वाली 46 नदियों के जल से जलाभिषेक हुआ जिसमें माननीय मुख्यमंत्राी हरियाणा श्री मनोहर लाल खट्टर एवं सड़क परिवहन व राजमार्ग केन्द्रीयमंत्राी माननीय नितिन गडकरी, माननीय दर्शन लाल जैन, माननीय इन्द्रेश जी इनके सान्निध्य में हजारों लोग उपस्थित रहे। तत्पश्चात् 22 जनवरी 2018 पिहोवा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की केन्द्रीय कार्यकारिणी के सदस्य माननीय इन्द्रेश कुमार जी ने जलाभिषेक कर शुभारम्भ किया। इस अवसर पर श्री कृष्णलाल पंवार, परिवहन मंत्री - हरियाणा, राज्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी, हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष श्री प्रशान्त भारद्वाज ने भी विद्या भारती द्वारा किए इस पुनीत कार्य की भूरि-भूरि प्रशंसा की तथा आभार व्यक्त करते हुए सम्मानित किया। विद्या भारती निरन्तर ऐसे प्रयासों में संलग्न है जिससे हमारी सभ्यता व संस्कृति को जानकर भावी पीढ़ी गौवान्वित हो। इस अवसर पर संस्कृति मंत्रालय के सौजन्य से कत्थक नृत्य का कार्यक्रम भी आयोजित हुआ। इसमें नलिनी-कमलिनी ने अपनु गुरु जितेन्द्र जी महाराज की उपस्थिति में सामूहिक प्रस्तुति दी।